Monday, July 2, 2018

लंड का सुपाड़ा



लंड का सुपाड़ा


हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रितेश है और मेरी उम्र 24 साल है। में जम्मू का रहने वाला हूँ और एक इंशोरेंस कंपनी में जॉब करता हूँ। अब में आपका समय ज्यादा ख़राब ना करते हुए सीधा अपनी स्टोरी की तरफ आता हूँ। में जब पढ़ने के लिए पुणे में रहता था तो मेरे फ्लेट के बगल में एक भैया रहते थे, जसवंत भैया। उनकी बीवी मंजूला जिन्हें में भाभी कहता था बड़ी ही सुंदर और ख़ुशमिज़ाज लेडी थी। जसवंत भैया की एक बहन थी शीला। अब कुछ दिन रहने के बाद हम आपस में काफ़ी घुलमिल गये थे। फिर एक बार जसवंत भैया और भाभी अपने गाँव चले गये, वहाँ फोन नहीं था, इसलिए अब शीला अकेली रह गयी थी। फिर जब बहुत दिनों तक वो वापस नहीं आए। तब शीला मेरे पास आई और बोली कि रितेश क्या तुम मेरे साथ मेरे गाँव चलोगे? मेरे भैया और भाभी अभी तक घर से नहीं आए। मेरी बहन जैसी थी इसलिए मैंने उसे बहन मान लिया था, लेकिन पराई बहन तो पराई ही होती है और फिर हम चल दिए।

फिर हम दोनों उसके गाँव पहुँच गये। अब मंजुला भाभी कुछ काम कर रही थी और जसवंत भैया दिखाई नहीं दे रहे थे। तब मैंने पूछा कि भैया नहीं है? कहाँ गये? तो तब मंजुला भाभी बोली कि क्यों? में नहीं हूँ क्या? भैया बिना नहीं चलेगा? तो तब शीला बोली कि क्यों नहीं चलेगा? हम तो आपको ही ढूँढने आए थे। तब में बोला कि शीला आप लोगों के बिना बहुत उदास हो गयी थी और फिर में बोला कि इतनी धूप में कहाँ गये भैया? तो तब मंजुला बोली कि और कहाँ? वो भले उनके खेत भले और यह कहते-कहते मंजुला का चेहरा उदास हो गया। तब शीला बोली कि क्या हुआ भाभी? आप कुछ उदास दिखाई दे रही हो, क्या बात है? तो तब मंजुला भाभी बोली कि जाने भी दीजिए, ये तो हर रोज का मामला है, आप क्या करोगे? तो तब में बोला कि बताओ तो सही, आपका दिल हल्का हो जाएगा। फिर तब मंजुला की आँखें भर आई।

अब में और शीला चारपाई पर बैठे थे। अब हमारे बीच जमीन पर वो बैठ गयी थी और फिर वो शीला की गोद में अपना सिर रखकर रो पड़ी। तो तब मैंने उसकी पीठ सहलाई और आश्वासन दिया। तो तब उसने सारी बात बताई। हुआ ऐसा था कि उसके पिताजी सूरत शहर में छोटी सी दुकान चला रहे थे, मंजुला वहीं बड़ी हुई थी। जसवंत के साथ शादी होने के बाद किसी ने जसवंत से कहा कि जब वो कुंवारी थी, तो तब मंजुला ने एक रतिलाल नाम के आदमी के साथ चक्कर चलाया था, बस तब से जसवंत मंजुला से खूब नाराज था। तब शीला बोली कि क्या सच में तुमने चक्कर चलाया था? तो तब मंजुला बोली कि नहीं तो, हमारी दुकान के सामने रतिलाल की पान की दुकान थी, उसने बहुत कोशिश की, लेकिन मैंने उसको घास नहीं डाली थी। तब शीला बोली कि रतिलाल यानी तुझे किसी ने चोदा था? तो तब में जरा चौंक पड़ा, लेकिन शीला आसानी से बात किए जा रही थी। तब मंजुला बोली कि किसी ने नहीं, तुम्हारे भैया ने पहली बार वो किया था तो तब सुहागरात को बहुत खून निकला था, उसने देखा भी था।


तब शीला ने पूछा कि अब क्या करते है भैया? तो तब मंजुला बोली कि कुछ नहीं, सुबह होते ही खेत में चले जाते है और रात को आते है और खाना खाकर झटपट वो करके सो जाते है, ना बातचीत, कुछ नहीं। तब में बोला कि वो क्या? तो तब शीला ने मेरी जाँघ पर थप्पड़ लगाई और बोली कि बुद्धू कही के डॉक्टर होने वाला है और इतना नहीं जानता है, भाभी तू इसे बता। अब मंजुला का चेहरा शर्म से लाल हो गया था। तब मंजुला कुछ नहीं बोली। तो तब शीला बोली कि भैया कितने दिनों से ऐसे चोद रहे है? तब मंज़ुला बोली कि 2 महीने हो गये? तो तब में बोला कि किसके दो महीने हुए है? लेकिन मेरी किसी ने नहीं सुनी।

फिर उन दोनों ने आँख से आँख मिलाई और धीरे-धीरे नजदीक आते-आते उनके होंठ एक दूसरे के साथ चिपक गये, तो तब में देखता ही रह गया। फिर उनकी किस लंबी चली। अब मेरे लंड में जान आने लगी थी। फिर चुंबन छोड़कर शीला ने मेरा एक हाथ पकड़कर मंजुला के स्तन पर रख दिया और बोली कि उस दिन तू कह रहा था ना कि तुझे स्तन सहलाने का दिल होता है, तो आज शुरू हो जा। तब में बोला कि में तो तेरे स्तन सहलाने को कहता था। तब शीला बोली कि बहन के स्तन को भाई नहीं छूता, भाभी की बात अलग है, भाभी अपना ब्लाउज खोल दे वरना ये फाड़ देगा। तब मंजुला ने अपना ब्लाउज खोलकर उतार दिया। अब उसके बड़े-बड़े स्तन देखकर मेरा लंड तन गया था। अब मेरे हाथ उसके दोनों स्तनों को दबाने लगे थे। तभी शीला ने मेरे लंड को टटोला। तब मैंने उससे कहा कि उसको बहन नहीं छूती और फिर जवाब दिए बिना शीला फिर से मंजुला को किस करने लगी और मेरे लंड को मुट्ठी में लेकर दबोचने लगी थी। फिर मैंने अपना एक हाथ मंजुला के स्तन पर रखते हुए अपने दूसरे हाथ से शीला का स्तन पकड़ा और दबाया। इस बार उसने विरोध नहीं किया। तो तभी अचानक से उसने मंजुला का मुँह छोड़कर मेरे मुँह पर अपने होंठ टिका दिए।अब किसी लड़की के साथ किस करने का यह मेरा पहला अनुभव था। अब मेरे बदन में झुरझुरी फैल गयी थी और मेरे लंड में से पानी निकलने लगा था। फिर मंजुला ने मेरा सिर पकड़कर अपनी तरफ खींचा और किस करने लगी। तब शीला ने मेरा लंड फिर से पकड़ा और मसलने लगी थी। फिर जब मैंने उसकी कुर्ती के बटन पर अपना हाथ लगाया। तब उसने मेरा हाथ हटा दिया और फिर खुद ने ही अपनी कुर्ती खोल दी, उसने ब्रा नहीं पहनी थी। अब में उसके नंगे स्तन देखकर चौंक गया था, बड़े संतरे की साईज के उसके स्तन गोरे-गोरे थे। एक इंच की अरेवला के बीच छोटी सी निप्पल थी, जो उस वक्त खड़ी हो चुकी थी, जबकि मंजुला के स्तन सीने पर नीचे की तरफ लगे हुए थे और शीला के स्तन काफ़ी ऊँचे थे, मंजुला की निपल्स और अरेवला भी बड़ी-बड़ी थी। फिर मैंने अपने एक हाथ से शीला के स्तन को सहलाते हुए झुककर मंजुला के निपल्स को अपने मुँह में लेकर चूसा। फिर शीला ने कब उठकर मंजुला को चारपाई पर लेटा दिया, उसकी मुझे खबर तक नहीं थी।

फिर शीला बोली कि भैया तुम मेरे पीछे आ जाओ और यह कहकर शीला मंजुला की जाँघ पर बैठ गयी और फिर उसने नाड़ा खोलकर अपनी सलवार भी उतारी और आगे झुककर अपनी चूत से मंजुला की चूत को रगड़ने लगी थी। तब मैंने पीछे से उसके स्तन पकड़े और उसकी घुंडीयों को मसलने लगा था। अब आगे झुकी होने से उसकी खुली हुई गांड मेरे सामने थी। फिर मैंने झट से अपने पजामें का नाड़ा खोलकर मेरा लंड बाहर निकाला औट शीला के चूतड़ के बीच में अपना लंड रगड़ने लगा था। तभी शीला बोली कि अभी थोड़ा ठहरो भैया, तुमको पहले भाभी को चोदना है और मुझे बाद में और यह कहकर वो जरा आगे सरकी। फिर मंजुला ने अपनी जांघें चौड़ी की तो तब मेरा लंड उसकी चूत तक पहुँच गया। अब मंजुला और शीला काफ़ी उत्तेजित हो गये थे। अब उन दोनों की चूत गीली गीली हो गयी थी।

फिर मैंने अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़कर अपने लंड का सुपाड़ा मंजुला की चूत में डाल दिया और अपने दूसरे हाथ से शीला की क्लाइटॉरिस को टटोलता रहा और फिर मैंने एक धक्का ज़ोर से लगाया तो तब मेरा लंड भाभी की चूत में पूरा उतर गया था। तब मंजुला ने अपनी जांघें ऊपर उठाकर मेरा साथ दिया और शीला उसके ऊपर झुकी हुई किस करती रही। अब मंजुला के कूल्हें हिलने लगे थे और चूत में फट-फट फटके होने लगे। तभी मैंने अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ाई तो तभी थोड़ी देर के बाद मंजुला ज़ोर से झड़ पड़ी और शिथिल हो गयी थी। फिर मैंने उसकी चूत के रस से अपना गीला लंड बाहर निकाला। तब शीला ने अपने कूल्हें थोड़े ऊपर उठाए और बोली कि आओं और थोड़ी पीछे की तरफ खिसकी। अब मेरे लंड का सुपाड़ा शीला की चूत के मुँह पर लग गया था, लेकिन मंजुला की चूत और शीला की चूत में काफ़ी फर्क था, जबकि भाभी की चूत में मेरे लंड को जाने में कोई तकलीफ नहीं हुई थी, लेकिन शीला के कुँवारी होने से मेरा लंड जल्दी से उसकी चूत में नहीं घुसा था।


अब मेरा सिर्फ सुपाड़ा ही उसकी योनि पटल तक गया था। तब मैंने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और फिर से डाला। तब सी सी की आवाज करते हुए शीला बोली फ़िक्र मतकर भैया, डाल दो अपना लंड। तो तब 1 इंच के लंड का इस्तेमाल करते हुए 10 बार धक्के लगाए और शीला की चूत को चौड़ा होने दिया। अब आख़िर योनि पटल तोड़ना ही तो था तो तब मैंने शीला के चूतड़ पकड़े और एक ज़ोर का धक्का लगाया। तब मेरा लंड उसकी योनि पटल तोड़कर उसकी चूत में जा घुसा। तभी शीला के मुँह से चीख निकल गयी। फिर में थोड़ी देर रुका, लेकिन मेरा लंड धीरे-धीरे अंदर बाहर करता रहा और ज़्यादा मोटा होकर उसकी चूत को भी ज़्यादा चौड़ी कर रहा था। तब खुद शीला ने कहा कि अब दर्द कम हो गया है भैया, अब आराम से चोदो। तब मैंने धीरे-धीरे से धक्के लगाने शुरू किए।

अब उधर आगे झुककर शीला ने अपने स्तन भाभी के मुँह के पास रख दिए थे। अब मंजुला शीला की निप्पल को चाट रही थी और चूस रही थी। अब उसका एक हाथ शीला की क्लाइटॉरिस से खेल रहा था। फिर जब शीला की चूत फट फट करने लगी तो तब मैंने अपने धक्को की रफ़्तार और गहराई बढ़ा दी। तब शीला ने कहा कि भैया भाभी को भी मज़ा चखाते रहना। अब मंजुला की चूत दूर कहाँ थी? तो तब मैंने अपना लंड शीला की चूत में से बाहर निकालकर मंजुला की चूत में डाल दिया और उन दोनों को एक साथ चोदने लगा। तब मंजुला बोली कि देवर जी में तो एक बार झड़ चुकी हूँ, शीला बहन का ख्याल रखिएगा। तब मैंने अपना लंड बाहर निकालकर फिर से शीला की चूत में डाला और उसको चोदने लगा था। फिर ऐसे चार पाँच बारी चूत बदलते-बदलते मैंने उन दोनों को एक साथ चोदा। अब आप पूछेगे कि में जल्दी से झड़ क्यों नहीं गया? इसका राज ये है कि भाभी के घर आने से पहले मैंने एक बार हस्तमैथुन करके अपने लंड को शांत किया था।

फिर आधे घंटे की चुदाई के बाद में मंजुला की चूत में झड़ गया। अब इस दरमियाँ शीला एक बार और मंजुला दो बार झड़ गयी थी। फिर उन दोनों ने उठकर मेरा लंड साफ किया। फिर मेरे नर्म होते हुए लंड को अपने एक हाथ में पकड़कर शीला ने पूछा कि भैया आपको एतराज ना हो तो में तुम्हारे लंड को अपने मुँह में ले लूँ? अब मुझे क्या था? तो तब में चारपाई पर लेटा रहा और फिर शीला ने मेरे लंड की टोपी खिसकाकर मेरा सुपाड़ा खुला किया और अपनी जीभ से चाटा। तो तब तुरंत ही मेरा लंड फिर से तन गया। तब शीला को मेरा लंड अपने मुँह में लेने के लिए अपना मुँह पूरा खोलना पड़ा, लेकिन फिर भी वो मुश्किल से मेरे लंड को अपने मुँह में ले पाई थी। फिर जब मेरा लंड खड़ा हुआ तो तब ताज्जुब से उसकी आँखें चौड़ी हो गयी। फिर उसने मेरे लंड का सुपाड़ा अपने मुँह में ही पकड़े हुए अपने एक हाथ से मेरे लंड को रगड़ना शुरू किया। तब मेरे लंड में से पानी निकलने लगा। अब शीला अपना सिर हिला-हिलाकर मेरे लंड को अंदर बाहर करने लगी थी और साथ-साथ अपनी जीभ से टटोलने लगी थी।

अब मंजुला भी उसके पीछे बैठकर अपने एक हाथ से उसके स्तन सहला रही थी और अपने दूसरे हाथ से क्लाइटॉरिस को सहला रही थी। अब शीला की एग्ज़ाइटमेंट काफ़ी बढ़ गयी थी। तब मैंने उससे अपने लंड को छुड़ाया औट तेज़ी से उसको जमीन पर लेटा दिया। फिर उसने अपनी दोनों जांघे उठाई और चौड़ी करके पकड़ ली। तब मैंने उसकी खुली हुई चूत में झट से अपना लंड डाल दिया और तेज़ी से उसको चोदने लगा था। फिर 10-15 धक्को के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गये। तब शीला ने कहा कि भैया मुँह में लंड लेने का मज़ा चूत में लेने जैसा ही है, भाभी तू भी कोशिश कर लेना। तब मैंने कहा कि अब मेरे लंड में चोदने की ताकत नहीं है। तब मंजुला ने देखूं तो कहकर मेरे नर्म लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी थी। तब मेरे लंड को खड़ा होने में थोड़ी देर लगी, लेकिन मेरा लंड खड़ा तो हो ही गया था। फिर हमारी 15 मिनट की एक और चुदाई हो गयी। तब मंजुला ने आग्रह करके मुझे मुँह में झड़ाया और फिर मेरे लंड में से जो वीर्य निकला, वो सारा पी गयी थी। अब हम तीनों बहुत थके हुए थे और फिर अपने-अपने कपड़े पहनकर सो गये। फिर शाम को भैया आ गये और दूसरे दिन हम सभी पुणे आ गये ।।

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